हैहय ध्वज - गीत
फहर - फहर फहरेपताका , लहर - लहर लहरे ।
हैहय ध्वज पूर्वक प्रतीक है।
शूरवीरता शोभनीय है।
शांति सत्यता त्याग तपस्या -
गौरव गुण गहरे ।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
गौसुत नन्दी वाहन धारे।
सर संधान दुष्ट संहारे ।
यह सिंदूरी वर्ण समन्वय -
के प्रण पर ठहरे।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
पौराणिक यह वसुन्धरा है ।
इतिहासों की परम्परा है ।
श्री सहस्त्रवाहु की संस्कृति -
की गाथा कहरे ।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
युग युगान्त तक निर्भय हो ।
द्रण संकल्पी हर हैहय हो ।
उन्न्त मस्तक स्वाभिमान से -
सदा अमर रहरे ।
फहर - फहर फहरेपताका , लहर - लहर लहरे ।
- सुधा ताम्रकार
This dhvaj geet is written by shri laxminarayan Hayaran Upendra Advocate
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