Tuesday, December 10, 2013
श्री राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन महाराज
त्रेतायुग मेंमहिष्मती केसंस्थापक चन्द्रवंशी सम्राट महिष्मान की चौथी पीढ़ी मेंकृतवीर्य हुए थे, उनके पुत्र का नाम अर्जुन था। हैहयवंश की दसवीं पीढ़ी में कर्त्तवीर्याजुन नामक सम्राट हुए थे।
समर बलि सन करि जस पावा ,सुनि कपि वचन विहसि विहरावा।
हैहय ध्वज - गीत
हैहय ध्वज - गीत
फहर - फहर फहरेपताका , लहर - लहर लहरे ।
हैहय ध्वज पूर्वक प्रतीक है।
शूरवीरता शोभनीय है।
शांति सत्यता त्याग तपस्या -
गौरव गुण गहरे ।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
गौसुत नन्दी वाहन धारे।
सर संधान दुष्ट संहारे ।
यह सिंदूरी वर्ण समन्वय -
के प्रण पर ठहरे।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
पौराणिक यह वसुन्धरा है ।
इतिहासों की परम्परा है ।
श्री सहस्त्रवाहु की संस्कृति -
की गाथा कहरे ।
फहर - फहर फहरे पताका , लहर - लहर लहरे ।
युग युगान्त तक निर्भय हो ।
द्रण संकल्पी हर हैहय हो ।
उन्न्त मस्तक स्वाभिमान से -
सदा अमर रहरे ।
फहर - फहर फहरेपताका , लहर - लहर लहरे ।
- सुधा ताम्रकार
Sunday, December 8, 2013
सहस्त्रबाहु जी की आरती
सहस्त्रबाहु जी की आरती
|| जय सहस्त्रबाहु देवा, श्री गणेशाय नमः ||

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जय सहस्त्रबाहु देवा ,
जय सहस्त्रबाहु देवा-जय सहस्त्रबाहु देवा ,
माता जाकी पधिनी -पिता कार्तवीर्या ,
स्मरण को भोग लगे -हैहयवंशीय करें सेवा ,
जय सहस्त्रबाहु देवा ।
पिता संग माता ने तपस्या में साथ निभाया ,
विष्णु जी से श्रेस्ठ वीर पुत्र का वरदान पाया,
बड़े होने पर पिता ने राजमुकुट पहनाने का विचार बनाया ,
जय सहस्त्रबाहु देवा ।
महर्षि गर्ग से पायी प्रेरणा -दत्तात्रेय की सेवा ,
चार वरदानों का फल पाया -सहस्त्रवाहों का बल पाया ,
धर्म पूर्वक प्रजा पालन एवं रक्षा का सूत्र हाथ आया ,
रण भूमि में जग के श्रेष्ठ यौद्धा से मरने का विश्वास आया ,
जय सहस्त्रबाहु देवा।
अपना राज्य सात समंदर तक फैलाया ,
जन जन की रक्षा का वचन निभाया ,
रावण को अपनी भुजाओं में बन्दी बनाया ,
सुन्दर कांड में वीर हनुमान से प्रशंसा पाया ,
जय सहस्त्रबाहु देवा।
एक हजार यज्ञ प्रतिदिन सोनेकी वेदी मेंकरवाया,
धर्म और कर्म मेंजग मेंनाम कमाया,
प्रातः नाम स्मरण करने पर जन जन को ,
युगों से मन वांछित फल दिलवाया,
स्वयं ने जग में राजराजेश्वर का पद पाया ,
जय सहस्त्रबाहु देवा।
''राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन '' की महिमा को देवों ने भी वेदों में गया ,
महेश्वर में पूज्य स्थल बनवाया,
शिवलिंग में तुमको बसाया ,
अग्निदेव ने ''अखण्ड ज्योति ''के रूप में साथ निभाया ,
नर्मदा ने सहस्त्रधारा के संग अपना विशाल रूप दिखलाया ,
जन जन ने महेश्वर को को तीर्थस्थल के रूप में अपनाया ,
जय सहस्त्रबाहु देवा।
- सुधा ताम्रकार, जबलपुर
Thursday, December 5, 2013
ताम्रकार विवाह की वेबसाइट
ताम्रकार विवाह की वेबसाइट

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